हर्षद मेहता भारतीय शेयर बाजार का एक चर्चित नाम है। उनका जन्म 29 जुलाई 1954 को गुजरात के पनेल मोगर गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद, हर्षद ने मुंबई के लाला लाजपत राय कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त
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करियर की शुरुआत: हर्षद मेहता ने अपने करियर की शुरुआत एक साधारण स्टॉकब्रोकर के रूप में की। धीरे-धीरे, वे शेयर बाजार में गहरी रुचि लेने लगे और अपनी अलग सोच और जोखिम लेने की क्षमता के कारण उन्होंने बाजार में पहचान बनाई। उन्होंने बंबई स्टॉक एक्सचेंज में अपनी अलग रणनीतियों से कामयाबी हासिल की और जल्द ही "बिग बुल" के नाम से प्रसिद्ध हो गए
शेयर बाजार घोटाला: (1992): 1992 में, हर्षद मेहता को भारतीय शेयर बाजार में एक बड़े घोटाले में शामिल पाया गया, जो बाद में "हर्षद मेहता स्कैम" के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस घोटाले में उन्होंने बैंकिंग सिस्टम का उपयोग करके शेयर बाजार में हेरफेर किया और लगभग 5000 करोड़ रुपये का घोटाला किया। यह घोटाला भारत के वित्तीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है।
हर्षद मेहताहर्षद मेहता, जो भारत के एक प्रसिद्ध स्टॉकब्रोकर थे, ने 1990 के दशक में शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर मुनाफा कमाया था। उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में एक बहुत बड़ा घोटाला किया था जिसे "1992 का सिक्योरिटी स्कैम" कहा जाता है। हर्षद मेहता ने बैंकों से प्राप्त फंड्स का गलत उपयोग कर शेयर बाजार में निवेश किया। उन्होंने इन पैसों से स्टॉक की कीमतों को आर्टिफिशियली बढ़ाया और बाद में ऊंची कीमतों पर उन शेयरों को बेचकर भारी मुनाफा कमाया। उनकी इस धोखाधड़ी ने भारतीय शेयर बाजार को अस्थिर कर दिया था। हर्षद मेहता के द्वारा की गई घोटाले की कुल राशि लगभग 4,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि उन्होंने जीवनभर में कुल कितना मुनाफा कमाया, क्योंकि इसका कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि उनके पास एक समय पर इतनी संपत्ति थी कि वे काफी शानदार जीवन जी रहे थे। उदाहरण के तौर पर, उनके पास एक बहुत ही लग्जरी पेंटहाउस और महंगी कारें थीं। लेकिन जब घोटाला उजागर हुआ, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनकी अधिकांश संपत्ति जब्त कर ली गई थी। हर्षद मेहता की 2001 में हिरासत के दौरान मृत्यु हो गई।
गिरफ्तारी और कानूनी मामला: इस घोटाले के खुलासे के बाद हर्षद मेहता को गिरफ्तार किया गया और उन पर कई आपराधिक आरोप लगाए गए। उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा जीवन भर के लिए शेयर बाजार में व्यापार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया। उन पर कई केस चले, लेकिन घोटाले के बावजूद हर्षद मेहता की सार्वजनिक छवि में विरोधाभास बना रहा। कुछ लोग उन्हें एक वित्तीय जीनियस मानते थे, जबकि अन्य उन्हें एक अपराधी।
मृत्यु: हर्षद मेहता की मृत्यु 31 दिसंबर 2001 को तिहाड़ जेल में दिल का दौरा पड़ने से हुई। उनके जीवन और करियर ने भारतीय शेयर बाजार और वित्तीय संस्थानों पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके कारण भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर में कई सुधार किए गए।
निष्कर्ष: हर्षद मेहता का जीवन भारतीय वित्तीय इतिहास में एक विवादास्पद अध्याय है। उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर करके बहुत पैसा कमाया, लेकिन अंततः उनके घोटाले का पर्दाफाश हो गया और उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़े
हर्षद मेहता के पिता का नाम शांतिलाल मेहता था, और उनकी माता का नाम रुक्मिणीबेन मेहता था। हर्षद का जन्म गुजरात के राजकोट जिले में हुआ था, लेकिन बाद में उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। शांतिलाल मेहता एक साधारण व्यापारी थे और हर्षद का परिवार आर्थिक रूप से बहुत साधारण था। हर्षद के प्रारंभिक जीवन में उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई और परवरिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन परिवार को कभी किसी बड़े व्यापार या उद्योग से जोड़ा नहीं गया था। हर्षद का परिवार एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार था, जहां परंपरागत मूल्यों का पालन किया जाता था। उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति सीमित थी, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने पर ध्यान दिया।
1:ज्योति मेहता (पत्नी):
ज्योति मेहता, हर्षद मेहता की पत्नी हैं। उन्होंने अपने पति के पूरे जीवन में साथ दिया, चाहे वे जिस भी परिस्थिति में हों। हर्षद मेहता को 1992 के शेयर बाजार घोटाले में दोषी ठहराया गया था, और इसके बाद उनका जीवन एक कठिन मोड़ पर आ गया। जब हर्षद मेहता को जेल जाना पड़ा और उसके बाद उनकी मृत्यु हुई, तब भी ज्योति ने अपने परिवार की देखभाल की। 2000 के आसपास ज्योति मेहता अपने परिवार की स्थिति को सुधारने और कानूनी लड़ाई लड़ने में व्यस्त रहीं। वे मीडिया से दूर रहने की कोशिश करती थीं और अपने बेटे की देखभाल में लगी रहीं।
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2:आतुर मेहता (बेटा):
हर्षद मेहता के बेटे का नाम आतुर मेहता है। 2000 में, आतुर एक किशोर अवस्था में थे। उस समय तक, वे अपने पिता की प्रसिद्धि और विवादों से दूर रह रहे थे। आतुर ने अपनी शिक्षा पूरी करने पर ध्यान केंद्रित किया। हर्षद मेहता के निधन के बाद, आतुर अपने परिवार के साथ कई कानूनी और वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे थे
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